25 दिसंबर, 2016। सेमेस्टर एग्जाम ख़त्म होने के बाद मैं घर पहुंचा। फेसबुक खोला तो एक ओपन लेटर शेयर हो रहा था। नरेन सिंह राव नाम के किसी फैकल्टी मेंबर ने अपने आईआईएमसी से निकाले जाने के बाद यह लेटर लिख कर सोशल मीडिया पर सबके हवाले कर दिया था। कई स्टूडेंट उस लेटर को शेयर कर रहे थे और फेयर हियरिंग की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि बिना पहले से बताए किसी को नहीं निकाला जा सकता। https://www.facebook.com/naren.singh (Open Letter)
कई छात्र शिक्षक तो कई संस्थान के पक्ष में थे और कमेंट्स में उनकी लड़ाई जारी थी। अगले ही दिन दो छात्रों ने उस शिक्षक का कॉन्ट्रेक्ट लेटर फेसबुक पर डालकर मुझे भी टैग किया। इसमें लिखा हुआ था कि नरेन प्रोफ़ेसर नहीं हैं, एकेडमिक एसोसिएट हैं और उन्हें बिना कारण बताए हटाया जा सकता है। कॉन्ट्रेक लेटर उनके हाथ कैसे लगा, इसपर भी कमेंट और फेसबुक पोस्ट्स का संग्राम चलता रहा। 31 दिसंबर को मैं संस्थान में वापस आया और पता चला कि मामला क्या है।
ADPR डिपार्टमेंट के एकेडमिक एसोशिएट नरेन सिंह राव को पदमुक्त कर दिया गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसे इस तरह से दिखाया कि उनको हटाने का कारण विचारधारा और संस्थान में हो रहा भेदभाव है। कई आरोप जड़ दिए(जिनमें से कुछ की जानकारी मुझे है, वह झूठ हैं)। कई छात्र उनको बिना नोटिस दिए निकाले जाने को लेकर सोशल मीडिया पर #istandwithnaren टैग के साथ स्टेटस और तस्वीरें पोस्ट करने लगे।
इस मामले पर कई मीडिया हाउसेज ने लिखा और हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के मेरे दोस्त रोहिन ने भी इसी मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट तैयार की। जिसे 'न्यूजलांड्री' ने छापा/पोर्टल पर पब्लिश किया। Rohin's Report : academic-associate-sacked-students-put-under-surveillance-all-happening-in-iimc
इस मामले पर कई मीडिया हाउसेज ने लिखा और हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के मेरे दोस्त रोहिन ने भी इसी मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट तैयार की। जिसे 'न्यूजलांड्री' ने छापा/पोर्टल पर पब्लिश किया। Rohin's Report : academic-associate-sacked-students-put-under-surveillance-all-happening-in-iimc
इस बीच यह भी सुनने को मिला कि RTV विभाग के पांच छात्रों को संस्थान के कोड ऑफ़ कंडक्ट का उल्लंघन करने और छवि धूमिल करने की बात कहकर उनसे बात/पूछताछ की गई। यह छात्र निकाले गए शिक्षक का समर्थन करते हुए पोस्ट कर रहे थे। रोहिन को अचानक एक दिन ऑनलाइन मीडिया पर लिखने के कारण निलंबित(सस्पेंड) कर दिया गया। गार्ड्स को उसकी फोटो दी गई और उसके संस्थान में आने पर रोक लगा दी गई। प्रथमदृष्टया यह बात चौंकाने वाली थी और अगले ही दिन संस्थान के डायरेक्टर जनरल केजी सुरेश सर ने क्लास में आकर अपना पक्ष स्पष्ट किया। रोहिन ने अपना सस्पेंशन लेटर सोशल मीडिया पर डाल दिया और ऑनलाइन मीडिया पर लिखने को निलंबन की वजह बताया। इस पूरे मामले को मीडिया में जगह मिलना शुरू हो गई है। अलग-अलग अखबार व न्यूज़ पोर्टल इसपर लिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी घमासान जारी है। विचारधारा से लेकर व्यक्तिगत आक्षेप तक और गालियों तक... 'कुछ भी' पोस्ट हो रहा है। ऐसे कोई समाधान नहीं होता!
दरअसल, मामले की पूरी जानकारी बहुत कम लोगों को है और जितना आधा-अधूरा पता है, लोग उसके आधार पर निर्णायक की भूमिका में आ रहे हैं। मैं किसी भी एक के समर्थन की स्थिति में नहीं हूं, न ही किसी विचारधारा से पोषित या प्रभावित हूं। IIMC के छात्र के रूप में जो भी देखा और समझा है उसके आधार पर लिख रहा हूं। मुझे हर किसी से कुछ न कुछ कहना है और कुछ सवाल हैं, जो पूरे घटनाक्रम और हर पक्ष को स्पष्ट कर देंगे। मेरी चुप्पी इसीलिए थी जिससे मैं वाकई सच लिख सकूं, विचार नहीं-तर्क लिखूं। सवाल हर किसी से,
सबसे पहले नरेन सर से सवाल,
मैं आपसे कभी नहीं मिला, न आपको देखा है, जितना भी जाना है, इसी मामले के बाद। आपके कई दावे और आरोप झूठे हैं, जिनकी मुझे जानकारी है उनका ज़िक्र कर रहा हूं। मुझे इसलिए पता है क्योंकि उन आरोपों से जुड़े शख्स मेरे दोस्त और रूममेट हैं। आप मुझे बताइए-
1- आप अपने विरोध में लिखने वालों को ब्लॉक या अनफ्रेंड कर रहे हैं?
2- ओपन लेटर में लिखी कई बातें झूठी हैं या नहीं? क्या यह माना जाए कि आपका प्रोपोगेंडा झूठ पर आधारित है?
3- आपका मुद्दा सिर्फ इतना था कि आपको बिना बताए निकाल दिया गया। क्या सिर्फ इतना कहकर सामने आना और सवाल उठाना बेहतर नहीं होता?
4- लेटर में आपने जिन दलित कर्मचारियों को निकालने पर सवाल उठाया है, क्या आप वाकई उनके हक में खड़े हुए? कुछ किया?
5- जिस मुस्लिम छात्र (जो अब मेरा रूममेट है) को पीड़ित बताकर आप यह कह रहे थे कि उसके आत्महत्या की नौबत आ गई थी, क्या आपने उससे कभी बात की थी? वह तो आपका नाम तक नहीं जानता था और अपनी एक पोस्ट में यह बताकर आपके इस दावे को झूठा साबित कर चुका है।
6- जिस साइबर हैरेसमेंट केस का ज़िक्र आपने लेटर में किया, क्या आप कभी लड़की से मिले? इस बारे में कभी भी आगे आकर बात की? आवाज़ उठाई? लेटर में आपने लिखा कि यह मामला प्रबंधन के दबाव में आकर सामने नहीं लाया गया। जबकि शनिवार के दिन जब संस्थान बंद होता है, पूरा स्टाफ आया और इस मामले पर बात की। कार्रवाई हुई और सजा मिली। जब आप इस मामले से जुड़े किसी व्यक्ति से नहीं मिले तो दबाव जैसी बात का ज़िक्र कैसे? अपने मन से?
7- दिल्ली हाईकोर्ट ने आपकी जिस याचिका को खारिज किया है क्या आपने उसमें इन सभी आरोपों का ज़िक्र किया था? hc-refuses-to-interfere-with-cat-s-order-on-ex-iimc-academic-associate
सर, ये बातें हवा हवाई नहीं हैं। वाजिब सवाल हैं, जवाब चाहता हूं। फेसबुक पर या आपसे मिलकर। बस, डर है कि जवाब देने कि बजाय अब आप मुझे unfriend न कर दें। इन निराधार आरोपों के बीच आपका मुद्दा किनारे ही रह गया। आप इन झूठे आरोपों को लेकर क्यों आए? सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट करके कौन सा हल निकालना चाहते थे आप? क्या इसलिए कि आपकी बात में दम नहीं था? सर,
'राजनीति यहीं से शुरू हुई।'
सवाल मेरे दोस्त रोहिन से,
रोहिन, एक प्रभावशाली व्यक्तिव और पढ़ाकू बच्चे की छवि। विषय पर अच्छा ज्ञान, समझदार और अच्छा वक्ता। पत्रकार बनने के सवाल पर तुमने कहा था एकेडमिक्स में जाना है। तुम्हें सस्पेंड कर दिया गया और इससे ज़्यादा चौंकाने वाला कुछ नहीं हो सकता था। इससे भी ज़्यादा यह बात पता चलने पर आश्चर्य हुआ कि गार्ड्स को तुम्हारी तस्वीर देकर तुम्हारे कैम्पस में घुसने पर रोक लगा दी गई है। मैं तुम्हारे साथ था और उसी वक़्त DG सर के पास चलना चाहता था। अगले दिन उनके क्लास में आने के बाद भी बाकी बचे सवाल #सोशल_मीडिया पर नहीं डाले, उनसे पूछकर आया हूं।
तुम्हारा अचानक निलंबन गलत है, मानता हूं। सवाल करने चाहिए थे, उसी वक्त। लेकिन निलंबन के बाद तुमने अनुशासन समिति और प्रबंधन से जवाब मिलने से पहले #सोशल_मीडिया की शरण में जाना बेहतर समझा। गलती वहीं हुई दोस्त! वक़्त लेकर समझते तो। सोशल मीडिया लाइक, कमेंट और शेयर देता है। मीडिया फुटेज भी दे सकता है, लेकिन समाधान नहीं। खैर, ये कुछ सवाल-
1- सबसे बड़ा सवाल, क्या एक बार भी DG केजी सुरेश सर से मिले? सवाल जवाब किए? इस मुद्दे पर बात की?
2- क्या नरेन सर के ओपन लेटर पर आधारित रिपोर्ट देने से पहले उसमें लगाए गए आरोपों की प्रामाणिकता की जांच की?
3- नए साल पर अपने पोस्ट में तुमने यह नहीं लिखा कि जो छात्र अपने शिक्षक के लिए खड़े हो रहे हैं वहीं बधाई दें? (तुम्हारा पोस्ट- आईआईएमसी के छात्र अपने शिक्षक के लिए खड़े हो रहे हैं. इससे बेहतर साल का अंत और नये की शुरूआत नहीं हो सकती. बाकि, जो 364 दिन जरने वाले जर्नलिस्ट तैयार हो रहे हैं वो हमें नया साल ना ही विश करें तो बेहतर.)
4- क्या तुमने यह नहीं माना कि जो छात्र निकाले गए शिक्षक का समर्थन नहीं कर रहे, उन्हें 'प्लेसमेंट की चिंता/डर है'? तुमसे यह किसने कह दिया?
5- क्या तुम्हें इस बात का पता था कि नरेन कोर्ट में किन आरोपों के साथ गए हैं? क्या तुमने सोशल मीडिया पर फैले घमासान को रिपोर्ट का आधार नहीं बनाया?
6- रिपोर्ट में जिस एक शख्स की पोस्ट का ज़िक्र है उसका संस्थान से कोई लेना-देना नहीं? एक फिजूल फेसबूक पोस्ट को रिपोर्ट में जगह देना, सही है?
7- चलो अगर जगह दी भी, तो DG केजी सुरेश सर को व्यक्ति-विशेष द्वारा दी जा रही गालियों का ज़िक्र भी होना चाहिए था। किया?
8- क्या वाकई संस्थान ने आपके मेल का जवाब आपको अब तक नहीं दिया है?
9- किसी अखबार या पोर्टल का यह लिखना कि बिहार के रोहिन को IIMC से निकाला गया, गलत नहीं लगा? आपत्ति दर्ज कराई? इसका आपके बिहार के होने से कोई सम्बन्ध है?
दिल्ली में खूब पढ़-लिख रहे थे बिहार के रोहिन, गुस्से में IIMC ने सस्पेंड ही कर दिया
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10- मीडिया चैनलों को लगातार बाइट्स देते जाना और कहना कि मैं सामान्य तरीके से रहना चाहता हूं, अजीब नहीं? आप इनकार कर सकते हैं।
11- निलंबन के बाद अगर मेल या सवालों का जवाब नहीं मिला? कभी संस्थान आने और प्रबंधन से मिलने का प्रयास किया? जब आपको किसी गार्ड ने रोका हो या ज़बरदस्ती की हो?
12- निलंबन और निष्कासन में अंतर है न? अनुशासन समिति को अपना पक्ष बताने से पहले सोशल मीडिया पर लाइव और मीडिया चैनलों को पक्ष बताना आपके विवेक के अनुसार सही है?
खैर, बस कुछ सवाल थे। बाकियों की तरह सुझाव नहीं दूंगा, आप खुद ही समझदार हैं। बिना किसी मतभेद/मनभेद के मुझे और अपने अन्य साथियों को भी unfriend कर दिया है। अब तुम्हें लाइव कैसे देखूं?
students-allege-surveillance-at-iimc-after-one-is-suspended-for-critical-piece-on-institute
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सवाल प्रबंधन/DG केजी सुरेश सर से,
आईआईएमसी के नए डीजी सर ने कई बदलाव किए। शुरुआत से ही संस्थान की बेहतरी के लिए काम करते दिखे। कभी भी किसी छात्र को ऑफिस आकर खुदसे मिलने से नहीं रोका। छह महीने के उर्दू पत्रकारिता के सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम को डिप्लोमा पाठ्यक्रम बनवाया। लेकिन रोहिन के निलंबन ने मुझे वाकई चौंका दिया। अचानक, बिना पूर्व चेतावनी उसे निलंबित करना। आपसे सवाल करने ही थे तो अकेले ही ऑफिस पहुंच गया। आप ही हैं जो सोशल मीडिया पर ट्रॉल और जवाब नहीं देते, ऑफिस हमेशा खुला रहता है। सुबह 11 बजे से देर रात तक।
1- क्या रोहिन को जल्दबाज़ी में निकाला गया था?
उत्तर- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। उसने न्यूज़ पोर्टल के लिए रिपोर्ट तैयार की और वो भी एकतरफ़ा। सोशल मीडिया पर लिखना अलग बात होती है, उसने न्यूज लिखी जिसमें झूठे आरोप दोहराए गए।
2- क्या रोहिन इस मामले को लेकर आपसे कभी मिला?
उत्तर- वो तो मुझसे मिला ही नहीं। मुझे तो ख़ुशी होती अगर वो एक बार भी अपनी बात लेकर आता। एक बार भी वह मुझसे मिलने नहीं आया।
3- क्या रोहिन की मेल का जवाब नहीं दिया गया?
उत्तर- बिलकुल दिया गया है। उससे कहा गया है कि अनुशासन समिति के सामने आकर अपना पक्ष रखे। (रोहिन के सवाल और उसके दिए गए जवाब दोनों मेल की कॉपी मुझे दी है, जिसे आखिरी में अटैच कर रहा हूं।)*
4 - सर! निकाले गए नरेन राव सर का कॉन्ट्रेक्ट लेटर कुछ बच्चों ने पोस्ट किया? वह लेटर उनके हाथ कैसे लगा? https://www.facebook.com/photo.php (contract letter)
उत्तर- हमने तो नहीं दिया। लेकिन आजकल डॉक्युमेंट्स का फोटो खींचकर व्हाट्सएप पर डालना इतना आसान हो गया है कि पता ही नहीं लगता। कब आपकी बात को कोई रिकॉर्ड कर रहा हो, पता ही नहीं चलता।
5- रोहिन को सीधा सस्पेंड करने की वजह क्या रही?
उत्तर- कोई भी अनुशासनहीनता करेगा तो उसे सजा मिलेगी। अगर आप गलती पर गलती करेंगे तो अनुशासन समिति को मामला सौंपना विकल्प होगा। निलंबन कोई सजा नहीं है, आपको समिति के सामने अपना पक्ष रखना है। पिछले मामलों में निलंबित छात्र भी संस्थान में वापस आ चुका है और क्लासेज कर रहा है।
6- सर! क्या न्यायालय में विचाराधीन मामले पर रिपोर्टिंग नहीं हो सकती?
उत्तर- ऐसा नहीं कहा मैंने! होती है, लेकिन उसका आधार वही तथ्य होते हैं जो न्यायालय के सामने रखे गए हों। उसके बाहर या सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोप नहीं।
बाकी सर क्लास में अपना पक्ष स्पष्ट कर चुके थे। आरोपों से इतर इस बात में कोई दो राय नहीं कि संस्थान में छात्रों को बेहतर करने और सीखने के मौके दिए जा रहे हैं और DG सर की गाड़ी सबसे ज़्यादा देर से वापस जाती है। संस्थान में भेदभाव और जातिवाद? नहीं! कभी भी किसी ने मेरी जाति और पृष्ठभूमि के आधार पर मुझे कोई मौका नहीं दिया। कभी कोई भेदभाव नहीं हुआ है। जिसने गलती की, उसे सजा मिली है।
मेरी बात :
मैं गलत हो सकता हूं, हर कोई हमेशा सही हो यह ज़रूरी तो नहीं। गलत रोहिन भी हो सकता है, संस्थान भी और नरेन भी। इस सब के पीछे जो भी सामने आया वो है, सोशल मीडिया का घमासान। आईआईएमसी में हालात बुरे हैं? भेदभाव है? वाकई? नहीं है मेरे दोस्त। इस बात से इनकार कर सकते हो लेकिन खुद से झूठ नहीं बोल सकते। अहम् से बढ़कर भी बहुत कुछ है। अगर संस्थान से जुड़ी समस्या रही हो, तो क्यों न प्रबंधन से उसपर बात की जाए। सुधार ज़रूरी हो तो प्रबंधन के साथ मिलकर किया जा सकता है, सोशल मीडिया पर बताकर नहीं। अभी बेवजह झूठी बुनियाद पर संस्थान की छवि खराब नहीं होने दो। दोस्त जो बात तुम फेसबुक पर लाइव कहते हो, हाथ जोड़कर कहते हो कि मुझे पढ़ने दीजिए, चलो न डीजी सर से या डिसिप्लिनरी कमिटी से कहकर देखो। अपराधी नहीं हो तुम, हम साथ चलेंगे। प्रबंधन में भी किसी का तुमसे व्यक्तिगत मनमुटाव नहीं है। तुम योग्य हो तभी यहां हो। अड़ो मत और गलतियां मत करते जाओ।
शेष, इस पोस्ट का आधार मेरे सामने हुआ पूरा घटनाक्रम है, और यह तथ्य आधारित है। मैं किसी भी एक पक्ष के लिए नहीं लिख रहा हूं। रोहिन का निलंबन या नरेन सर का निष्कासन सही है, ऐसा में एक बार भी नहीं कहता। कुछ छुपे तथ्यों का स्पष्ट होना ज़रूरी था, इस पोस्ट के माध्यम से मैंने यही कोशिश की है। यह पोस्ट लिखना मेरा अपना विचार था और इसपर किसी तरह की विचारधारा, राजनीति या व्यक्ति-विशेष का कोई प्रभाव नहीं है।
*रोहिन के सवाल और उसके दिए गए जवाब दोनों मेल की कॉपी :
संबंधित ख़बरें -
http://www.dnaindia.com/delhi/report-iimc-suspends-student-for-writing-about-sacked-faculty-2291628
http://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/IIMC-student-suspended-for-post-backing-sacked-teacher/article17025023.ece
https://www.scoopwhoop.com/Why-This-Journalism-Student-Was-Suspended-By-Indian-Institute-For-Mass-Com-For-Writing-A-Report/#.pkyy404fl
http://www.bhadas4media.com/article-comment/11684-rohin-verma-iimc-suspend
http://hindi.oneindia.com/news/delhi/iimc-student-rohin-verma-suspended-for-writing-online-394703.html
शेष, इस पोस्ट का आधार मेरे सामने हुआ पूरा घटनाक्रम है, और यह तथ्य आधारित है। मैं किसी भी एक पक्ष के लिए नहीं लिख रहा हूं। रोहिन का निलंबन या नरेन सर का निष्कासन सही है, ऐसा में एक बार भी नहीं कहता। कुछ छुपे तथ्यों का स्पष्ट होना ज़रूरी था, इस पोस्ट के माध्यम से मैंने यही कोशिश की है। यह पोस्ट लिखना मेरा अपना विचार था और इसपर किसी तरह की विचारधारा, राजनीति या व्यक्ति-विशेष का कोई प्रभाव नहीं है।
*रोहिन के सवाल और उसके दिए गए जवाब दोनों मेल की कॉपी :
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रोहिन का मेल/सवाल |
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संस्थान का रिप्लाई/जवाब-1 |
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संस्थान का रिप्लाई/जवाब-2 |
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http://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/IIMC-student-suspended-for-post-backing-sacked-teacher/article17025023.ece
https://www.scoopwhoop.com/Why-This-Journalism-Student-Was-Suspended-By-Indian-Institute-For-Mass-Com-For-Writing-A-Report/#.pkyy404fl
http://www.bhadas4media.com/article-comment/11684-rohin-verma-iimc-suspend
http://hindi.oneindia.com/news/delhi/iimc-student-rohin-verma-suspended-for-writing-online-394703.html
http://www.dailypioneer.com/city/few-willing-to-support-suspended-iimc-student.html
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