कहने को बहुत कुछ है,
जताने बताने को है उससे भी ज़्यादा...
हैं केवल इमोशन्स दोनों ओर,
लेकिन #nothing_emotional का है वादा..
मिलना एक अजनबी से करना दोस्ती बस यूं ही,
समझाते हुए बस इतना कि मैं इमोशनल नहीं हूं।
समझना उलझनों को, सुलझाना अनबूझी पहेलियां,
फिर एक रोज जताना, मैं आज हूं-बीता कल नहीं हूं..
दूसरों के झगड़े निपटाते-सुलझाते, खुद घंटों बैठना साथ,
बिना बात की बात और बस यूं ही हाथों में हाथ।
सुनो! ये खत्म नहीं होना चाहिए, पूछा क्या तो बोली,
यही जो प्यारा सा रिश्ता है, ये जो बॉन्ड चल रहा है साथ।
बातों से चंद कदम साथ चलने और आने तक पास,
क्या समझ सके कब कौन हुआ किसके लिए खास।
लेकिन एक भूखा रहा, तो मर गई दूसरे की भूख-प्यास।
दो नहीं-चार आंखें छलकीं, जब कोई भी हुआ उदास।
इस तरह पास आना और एक दोस्त-एक साथी पाना,
आसान नहीं था, पर लगा जैसे जंगल में हाथी पाना।
कभी कंधे पर तो कभी गोद में सिर रखकर सो जाना,
सबको शक होने लगा, इस तरह हमने एकदूजे को माना।
हमारी दुनिया अलग थी, जहां थी चाय और कोल्ड कॉफी।
बेवजह फिरने की आदत, थी शाम वाली डांट और माफी।
यादें बटोरते और बांटते एहसास, रूठना मनाना रहा जारी।
सुबह-शाम साथ होकर भी लगा, कुछ बातें रह गईं बाकी।
बाकी रह गईं बातें और वक़्त आ गया लेने का विदा।
तेज नदी के एक किनारे तू, तो दूसरे किनारे जैसे मैं था।
ज़िद अब भी थी मिलने की, किनारों को मिलाता रहा।
तैरना न सीखा, डूबने की चाह में तेरे पास आता रहा।
हमारी यारी फिर जीती, और तुझे अपने साथ ले आया।
खत्म कर दिए दो किनारे, देख तुझे पक्के घाट ले आया।
मुमकिन तो नहीं होता दो दोस्तों का यूं साथ रहना,
लेकिन हम मिले क्योंकि तुझे यहां मेरा विश्वास ले आया।
रेत की टीलों से लेकर गीले पैरों और हवाई जहाज तक,
जीते रहे हैं एक अलग ज़िन्दगी साथ हम तो आज तक।
गर्म रसगुल्लों की मिठास से लेकर रेत की ठंडक तक,
और गंगा में तैरते दियों से लेकर बनारस के घाट तक।
यहां यादें बिखरी हैं, एहसास के मोतियों से टूटे हैं पल।
हमारा वजूद ही क्या है, यही बातें रहेंगी आज-कल।
हां पता है, चाहते हैं, हर दूरी-हर मुश्किल बस जाए टल...
फिर दोहराता हूं मेरी दोस्त.. #nothing_emotional