आजकल मीडिया को पता नहीं कैसा अजीब सा शौक चढ़ गया है, बेवजह इतने इज़्ज़तदार और भरोसेमंद समाजसेवी विजय माल्या जी के पीछे पड़ गई है। माल्या भाग गए, देश छोड़ के भाग गए, बड़ा हो हल्ला है। वो कोई चोर थोड़ी हैं जो भागने की ज़रुरत पड़ेगी। समाजसेवी हैं भाई! लोगों के जीवन में रस भरा है, आसमान तक में उड़ाया है सबको। एहसान मानिए।
जाते जाते भी मीडिया को कितना बड़ा मुद्दा दे के गए हैं माल्या जी! सुबह की खबर, देश छोड़कर कैसे भाग गए माल्या। दोपहर की न्यूज़, आखिर क्या था माल्या का एस्केप प्लान। शाम के समाचार, माल्या की अकूत दौलत का रहस्य। रात की बहस, सीबीआई क्यों नहीं दे रही जवाब! सबसे बड़ा सवाल कब आएंगे माल्या? बड़ी ख़ुशी होती है देखकर, माल्या जी विदेश क्या गए मीडिया से लेकर आम जन तक सब बावले हो गए। अरे आ जाएंगे भाई! सब्र रखिये।
जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा दुःख पहुँचाया वो ये कि सब उन्हें भगोड़ा समझ बैठे हैं। अपने घर ही तो गए हैं वो, इंडिया तो कभी कभी मौज मौज में आ जाया करते हैं। राजा बाबू फिल्म का 'परदेसी परदेसी जाना नहीं' गाना उनसे ज़्यादा किसे सूट करता है। यहाँ घूमने आये होंगे, पैसा लिया होगा जेब-खर्च के लिए, हो गया होगा ख़त्म... 9000 करोड़ ही तो है। जैसे यहाँ लिया था, वहां से डॉलर में ले आएंगे। चुका देंगे पैसा।
इस एक साल में हम वाकई बहुत असहनशील हो गए हैं, रत्ती भर भी भरोसा नहीं रहा माल्या जी पर! अरे ट्वीट किये हैं, भागा नहीं हूँ। सही वक़्त पर आऊंगा। भरोसा रखिये। जिस भरोसे के साथ 9000 करोड़ दिए थे उसे कुछ दिन और बनाए रखिये। मीडिया की बकबक पर ध्यान मत दीजिये। कान बंद करिये ध्यान कीजिये। महसूस कीजिये कि आप किंगफिशर के हवाई ज़हाज़ की सीट पर बैठे हैं और उड़ान बड़ी शानदार है। माल्या जी पर भरोसा न होता तो ऐसे प्लेन में बैठते क्या आप?
माल्या जी ने सच में आम जन का दिल खुश कर दिया। जो बैंक वाले 20-50 हज़ार का लोन देने के लिए बैंक में दस चक्कर लगवाते हैं और ईएमआई देर से भरने पर परेशान करते हैं, उनकी तो जान अटका दी माल्या ने। रातों की नींद उड़ा दी उनकी। अब बैंक उनके इंतज़ार में ऐसा बैठे हैं जैसे चांदनी रात में पेड़ की शाख पर बैठा बड़ी आँखों वाला उल्लू! सिर्फ लोन नहीं, हम सबका बदला लिया है माल्या जी ने। भई वाह!
सब कहते हैं एक तरफ कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, दूसरी तरफ माल्या देश से भाग गए। तौबा तौबा! अब माल्या जी भी आत्महत्या करें क्या? 9000 करोड़ का कर्ज कौन सा बहुत ज़्यादा होता है। ज़्यादा तो वो 20-30 हज़ार होता है जो किसान बैंक से लेते हैं और खेत में गाड़ आते हैं, फिर आत्महत्या करते हैं और मुआवजा मिलता है वो अलग। जो सरकार 20-30 हज़ार के कर्ज़दार किसान को मुआवज़ा 5 लाख देती है, वो 9000 करोड़ के कर्ज़दार माल्या जी को मुआवज़ा देने का रिस्क उठाने की हालात में भी नहीं है। फांसी लगाना, आत्महत्या करना इन्हीं एक हड्डी के किसानों को सूट करता है, कोई भी ऐसा फंदा नहीं बना जो माल्या जी का भार उठा सके। तो फिर! फालतू सवाल बिलकुल नहीं, किसान आत्महत्या करते हैं इसलिए न्यूज़ में हैं। माल्या जी को क्या ज़रुरत ये सब करने की, वो तो छींक दें तो भी न्यूज़ बन जाती है।
लेकिन माल्या जी मेरी आपसे एक विनती है। अब देर न लगाइये। आप तो साक्षात कुबेर देव का अवतार हैं, थोड़ी कृपा दृष्टि इधर बरसा दीजिये और सबका मुंह धन दौलत से बंद कर दीजिये। इससे पहले कि आपका मार्केट डाउन हो और न्यूज़ चैनलों की टीआरपी गिरे, आकर क्लाइमेक्स कर ही दीजिये। तब तक तो हम सबको समझा ही रहे हैं, अरे! माल्या जी भागे नहीं हैं भाई! लोन लेने गए हैं...