मोटर
बाइक
चलाना किसे पसंद नहीं होता,
लेकिन
क्या आप में इतनी हिम्मत है कि एक रोज़ अचानक बाइक उठाकर पूरे देश का चक्कर
लगाने का मन बना लें?
शायद
अब आप
सोचने
पर मजबूर हों कि ऐसा मज़ाक मैंने क्यों कर दिया.
जब गौरव नार्थ-ईस्ट से लौटे तो उनके पास ढेरों यादों के साथ आगे की यात्रा के लिए कई सबक थे. मुश्किल हालातों में क्या और कैसे करना है, गौरव ने काफी हद तक समझा. इस वक्त उनकी जीपीएस डिवाइस 12000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा दिखा रही थी. काफी सोचने के बाद अब गौरव ने पश्चिमी भारत में कदम रखने का मन बनाया, बाइक उठाई और राजस्थान और गुजरात राज्यों में अनगिनत संस्कृतियों, लोगों, रहा सहन और खानपान से मुलाकात करने चल दिए. इन राज्यों में सैकड़ों नए दोस्त बनाते हुए गौरव ने 14000 किलोमीटर से ज्यादा का सफ़र तय किया.
अपने इस सफ़र में गौरव कई बड़ी हस्तियों से मिले. योगगुरु बाबा रामदेव, आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, 16 साल से अनशन पर बैठीं इरोम शर्मीला, समाजसेवी अन्ना हजारे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन मोदी से लेकर देश की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इनफ़ोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति तक सभी ने गौरव से मिलकर उनके इस प्रयास को सराहा और उनका हौसला बढ़ाया है.
इतना ही नहीं, गौरव ने पिछले साल 14 फरवरी से 9 अप्रैल के बीच कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी साइकिल 'बावरी' से साइकिलिंग भी की. जिसने उनकी इस बाइक राइड की बुनियादी नींव रखी. गौरव को तभी ये ख्याल आया कि अगर साइकिल से इस 4750 किलोमीटर की यात्रा में भारत को देखना इतना रोमांचक रहा है तो क्यों न 1.2 लाख किलोमीटर की यात्रा कर इसे और करीब से देखा जाए.
न तो उनकी बाइक के पहिये थमे हैं और न ही उनका हौसला. यूं तो बाइक्स के शौक़ीन कई मिल जाएँगे लेकिन अगली बार अगर ओरेंज कलर की हीरो इम्पल्स पर कोई दिखे, तो हो सकता है वह अपनी उड़ान को पंख दे रहा गौरव सिद्धार्थ हो.
Source-
उत्तर
प्रदेश
की राजधानी लखनऊ का एक शख्स, गौरव सिद्धार्थ. उम्र केवल 23 साल, मनोविज्ञान विषय से ग्रेजुएट. गौरव के मन
में जाने कैसे पूरे देश के मनोविज्ञान को समझने का ख़याल आया और हद से
गुजरते हुए उन्होंने अपनी बाइक से पूरे देश में 1.2 लाख किलोमीटर का सफ़र तय
करने की ठान ली. बाइक से लेकर जीपीएस डिवाइस और जैकेट से लेकर दस्तानों तक
गौरव ने सब कुछ मेड इन इंडिया चुना.
गौरव
ने
सिर्फ यह सपना ही नहीं देखा, गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराने और स्वदेशी को
समर्थन देने के लिए गौरव,
एक
रोज़,
मम्मी
का
आशीर्वाद
लेकर अपनी हीरो इम्पल्स बाइक 'बावरी 2.0' पर निकल पड़े! मम्मी ने कहा,'बहादुर बनो, हिम्मत रखो और जिंदगी से
प्यार करते रहो.'
यात्रा
के
पहले फेज़ में लम्बी दूरी के मोटरसाइकिलिंग अनुभव के बिना 17 सितम्बर 2015 को गौरव उस यात्रा पर
निकल पड़े,
जिसे
गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने 'एक ही देश में मोटरसाइकिल से सबसे लम्बी
यात्रा'
की
कैटेगरी में जगह दी थी. उस वक़्त यह रिकॉर्ड लगभग 40 हज़ार किलोमीटर का था. गौरव बिना किसी तरह
के
सुरक्षा उपकरण के देश की सबसे ऊंची चलने लायक सड़क लेह-करडूंगला टॉप की
और
बढ़ चले थे. वहां पहुंचकर गौरव ने पूरा एक घंटा बिताया और बर्फ से ढंके
पहाड़ों
से मानों हाथ मिलकर वापस लौटे.
लेह
की
परिक्रमा कर लखनऊ लौटे गौरव ने दूसरे फेज़ में नार्थ-ईस्ट रूट पर बाइक
घुमा
ली. सबसे मुश्किल परिस्थितियों में भी हिम्मत न हारते हुए गौरव आगे
बढ़ते
रहे. मुश्किलें ज़रूर आईं लेकिन गौरव हाथ पर हाथ रखकर बैठने वालों में
से
नहीं थे,
उनका
जुनून उनको हर उस हद तक ले गया जहाँ कोई आम इंसान जाने से घबराता है, और यही बात उन्हें
बाकियों से अलग बनाती है. कई कई दिनों तक भूखे पेट रहते हुए, खुले में रात बिताकर और
जाने कितनी दिक्कतों का सामना करते हुए गौरव ने यह सफ़र पूरा किया. वह इसे
किसी रोमांच से कम नहीं मानते.
जब गौरव नार्थ-ईस्ट से लौटे तो उनके पास ढेरों यादों के साथ आगे की यात्रा के लिए कई सबक थे. मुश्किल हालातों में क्या और कैसे करना है, गौरव ने काफी हद तक समझा. इस वक्त उनकी जीपीएस डिवाइस 12000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा दिखा रही थी. काफी सोचने के बाद अब गौरव ने पश्चिमी भारत में कदम रखने का मन बनाया, बाइक उठाई और राजस्थान और गुजरात राज्यों में अनगिनत संस्कृतियों, लोगों, रहा सहन और खानपान से मुलाकात करने चल दिए. इन राज्यों में सैकड़ों नए दोस्त बनाते हुए गौरव ने 14000 किलोमीटर से ज्यादा का सफ़र तय किया.
दक्षिण
भारत
की ओर बढ़ते हुए गौरव ने जब 40000 किलोमीटर का सफर तय किया तो वह सुर्ख़ियों में आ गए. कहते हैं उगते सूरज को हर कोई सलाम
करता
है,
लेकिन
यहाँ तो सूरज जैसे जैसे चढ़ रहा था, उसकी चमक बढ़ती जा रही थी. अपनी हीरो इम्पल्स
उर्फ़ बावरी 2.0
से
अब तक 60000
किलोमीटर
से ज्यादा
बाइक
चला चुके गौरव का सफ़र अब भी जारी है.
अपने इस सफ़र में गौरव कई बड़ी हस्तियों से मिले. योगगुरु बाबा रामदेव, आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, 16 साल से अनशन पर बैठीं इरोम शर्मीला, समाजसेवी अन्ना हजारे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन मोदी से लेकर देश की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इनफ़ोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति तक सभी ने गौरव से मिलकर उनके इस प्रयास को सराहा और उनका हौसला बढ़ाया है.
इतना ही नहीं, गौरव ने पिछले साल 14 फरवरी से 9 अप्रैल के बीच कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी साइकिल 'बावरी' से साइकिलिंग भी की. जिसने उनकी इस बाइक राइड की बुनियादी नींव रखी. गौरव को तभी ये ख्याल आया कि अगर साइकिल से इस 4750 किलोमीटर की यात्रा में भारत को देखना इतना रोमांचक रहा है तो क्यों न 1.2 लाख किलोमीटर की यात्रा कर इसे और करीब से देखा जाए.
न तो उनकी बाइक के पहिये थमे हैं और न ही उनका हौसला. यूं तो बाइक्स के शौक़ीन कई मिल जाएँगे लेकिन अगली बार अगर ओरेंज कलर की हीरो इम्पल्स पर कोई दिखे, तो हो सकता है वह अपनी उड़ान को पंख दे रहा गौरव सिद्धार्थ हो.
(
गौरव
से जुड़ी एक बात और,
कल
कुछ ऐसा हुआ जिसकी शायद मुझे कोई उम्मीद नहीं थी. उनके बारे में और
जानने के लिए फेसबुक पर मैंने गौरव सिद्धार्थ का नाम सर्च किया. कुछ पोस्ट
देखीं,
तस्वीरें
देखीं. और जब मैंने माउस पॉइंटर 'add friend' बटन की और बढ़ाया तो वहां 'confirm' और 'not now' का option दिख रहा था. इसका मतलब गौरव
ने मुझे पहले ही फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी. क्यों कब कैसे! पता नहीं. लेकिन
जिस इंसान के पूरे देश में सैकड़ों हजारों दोस्त बन रहे हों उसका मुझे
रिक्वेस्ट भेजना किसी उपहार से कम नहीं था. Thanks Gaurav! ज़िंदगी तो सिर्फ आप जी
रहे हो,
हमारी
तो बस कट रही है. )
Source-
https://wrangler-ap.com/in/truewanderer/entry/3885-120000-kms--(Guinnness-World-Record-attempt)
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