Monday, 25 April 2016

पता भी नहीं चलेगा और हो जायेंगे 'बैंक फ्रॉड' (ठगी) के शिकार! कैसे बचें...

बैंक की पहुँच अब हमारे लैपटॉप से लेकर मोबाइल तक हो चुकी है. ऑनलाइन शॉपिंग युवाओं के बीच ट्रेंड बन चुका है., ऐसे में ठग और जालसाज भी हाईटेक तरीके अपना रहे हैं. आइये जानते हैं क्या हैं ये हाईटेक तरीके और कैसे होगा इनसे बचाव,

   फिशिंग(इन्टरनेट फ्रॉड)


इसमें आपके मेल इनबॉक्‍स में आपकी बैंक से एक मेल आता है.
इसके जरिए आपका बैंक अकाउंट नंबर, पासवर्ड और कई व्यक्तिगत जानकारी मांगी जा सकती है.
कुछ मेल लॉटरी निकलने के होते हैं, जो लालच देते हैं.
ऐसे मेल फर्जी होते हैं जो ठग भेजते हैं.
अपना पासवर्ड या एटीएम पिन कभी भी मेल पर शेयर न करें.
बैंक कभी भी आपकी निजी जानकारी मेल से नहीं मांगते.


              वेब फिशिंग(फर्जी साइट)

वेबसाईट फिशिंग में अटैकर्स एक असली वेबसाईट जैसा दिखने वाला पेज बना देते है.
लोग धोखे में आकर उनमें लॉग इन कर देते हैं.
इससे आपके डीटेल्स और पासवर्ड उनके पास चले जाते हैं.
असली साईट के नाम से पहले बंद ताला बना दिखता है.
साथ ही हरे रंग से https लिखा होता है.




 विशिंग(अकाउंट डीटेल्स का वेरिफिकेशन)

इसमें अटैकर आपको फ़ोन कर आपसे जानकारी हासिल करता है.
कॉल में दूसरा व्यक्ति खुद को आपको बैंक या क्रेडिट कार्ड का एक्जिक्‍यूटिव या मैनेजर बताता है.
वह आपको लुभावने ऑफर देता है या अपनी निजी जानकारी वैरीफाई करने को कहता है.
अगर आपने क्रेडिट कार्ड या ऐसी सुविधा के लिए अप्लाई ना किया हो तो निजी जानकारियां बिल्कुल न दें.
true-caller app इसमें मदद कर सकता है.

         

         स्मिशिंग(बैंक का फेक SMS)

आपको बैंक की और से एक फर्जी SMS मिलता है.
जिसमें अपने डीटेल्स मैसेज में टाइप कर भेजने की बात लिखी होती है.
यह SMS आपकी जानकारी वैरीफाई करने का दावा करता है.
भूल से भी ऐसे किसी मैसेज का जवाब न दें.

  
    
    स्किमिंग(डेबिट कार्ड से शॉपिंग)

यह फ्रॉड डेबिट या क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करते वक़्त हो सकता है.
इसमें रीटेलर आपका कार्ड मशीन में स्वाइप करता है.
मशीन के साथ लगी किसी दूसरी डिवाइस में कार्ड के मैग्नेटिक टेप में सेव डाटा फीड हो जाता है.
बाद में उस डाटा का उपयोग खरीददारी के लिए किआ जा सकता है.
कार्ड से खरीददारी के वक़्त सतर्क रहें.

 कार्डिंग(फर्जी डेबिट कार्ड)

इसमें किसी के खोए हुए या चोरी किए गए कार्ड से ठगी होती है.
आपकी जानकारी हासिल होने के बाद अटैकर नया कार्ड बनाता है.
पहले इस फर्जी कार्ड के टेस्ट के लिए वह छोटा लेनदेन करता है.
इसके बाद आपके अकाउंट से बड़ी रकम निकल जाती है.
कार्ड खोने पर तुरंत बैंक में रिपोर्ट करें.



               अनसिक्योर ब्राउजिंग

ऑनलाइन बैंकिंग पब्लिक कंप्यूटर पर करने से आप फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं.
कुछ साइबर कैफे आपका पासवर्ड और डीटेल्स अपने आप सेव कर लेते हैं, और आपको पता भी नहीं चलता.
बाद में वो इस जानकारी का उपयोग रकम निकासी के लिए करते हैं.
पब्लिक वाईफाई का प्रयोग बैंकिंग के लिए करने पर भी ऐसा हो सकता है.
बैंकिंग न करें और इसके लिए हमेशा अपने निजी कंप्यूटर का इस्तेमाल करें.


    एप-फिशिंग

कई एंड्राइड एप्लिकेशन्स आपके फ़ोन से डाटा चुरा सकती हैं.
अटैकर एक फेक app बनाता है जो दिखने में सिंपल सी लगती है.
लेकिन ये app आपके फ़ोन में टाइप की गई डीटेल्स उसतक पहुंचा देती है.
आपको अंदाज़ा भी नहीं लगता और आपका डाटा चोरी हो जाता है.
apps केवल एप-स्टोर से ही डाउनलोड करें.



        मोबाइल बैंकिंग

मोबाइल बैंकिंग का बढ़ता चलन इसकी वजह बना है.
पेटीएम और मोबीक्विक जैसी सेवाएँ सीधे बैंक खाते को मोबाइल से जोड़ देती हैं.
मोबाइल खो जाने पर इनसे पेमेंट आसानी से किया जा सकता है.
बहुत से अटैकर मोबाइल चोरी कर ऐसा करता हैं.
मोबाइल पर पासवर्ड लगाकर रखें और फोन खोने पर तुरंत रिपोर्ट करें.



 वायरस

कम्यूटर पर बैंकिंग करते वक़्त हैकर्स वायरस इंजेक्ट करने की कोशिश करते हैं.
ये वायरस उसे जानकारी देते हैं कि आप क्या टाइप कर रहे हैं.
आप सामान्य रूप से कंप्यूटर चलते हैं और आपको पता भी नहीं चलता.
इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि कम्यूटर में फायरवाल ऑन रखें.
अपने एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहें. 

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